अखिल भारतीय न्यायिक सेवा
अखिल भारतीय सेवाएं वे सेवाएं है जो राज्य व केंद्र सरकारों में सामान होती है । इन सेवाओं के सदस्या
राज्य व केंद्र के अधीन उच्च पद पर नियुक्त है तथा उन्हें अपनी सेवाएं देते है ।
वर्तमान मे तीन अखिल भारतीय सेवाएं है :-
१ भारतीय प्रसासनिक सेवा (आईएएस)
२ भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस)
३ भारतीय वन सेवा (आईएफएस)
सविधान सभा द्वारा सन 1947 में भारतीय प्रसाशनिक सेवा आईएएस तथा भारतीय पुलिस सेवा को आई
पी सी में परिवर्तित करके अखिल भारतीय सेवा का स्थान दे दिया गया है ।
अखिल भारतीय सेवाएं सयुक्त रूप से केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा नियंत्रित होगी इन पर मूल नियंत्रण केंद्र
सरकार व तात्कालिक नियंत्रण राज्य सरकार द्वारा होगा इन अधिकारियो के विरुद्ध कोई भी
अनुसाशनात्मक कार्यवाही केवल केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी । सवैंधानिक सभा मे अखिल भारतीय
सेवाओं के प्रमुख समर्थक सरदार वल्लभ भाई पटेल थे उन्हें अखिल भारतीय सेवाओं का पिता भी कहा
जाता है।
अखिल भारतीय सेवाएं तथा कुछ उच्च केंद्रीय सेवाएं में नियुक्ति की वर्तमान व्यवस्था निम्न सिफारिशों
पर आधारित है ।
1 मैकाले समिति (1854)
2 कोठारी समिति (1974)
3 सतीश चंद्र समिति (1988)
अब वर्तमान समय में यह आवयश्क प्रतीत होता है की हायर जुडिशरी को भी अखिल भारतीय न्यायिक
सेवा के अंतर्गत कर दिया जाये । सर्वप्रथम अखिल भारतीय न्यायिक सेवाएं का प्रस्ताव 1960 में रखा गया
किन्तु कुछ उच्च न्यायलो के विपरीत मत के कारण इस पर कोई निर्णय नहीं हो पाया क्योकि इसके लिए
हमारे सविधान में कोई उपबंध नहीं था इस प्रस्ताव के विफल होने के पश्चात 42 संसोधन 1976 द्वारा
अनुच्छेद 312 जोड़ कर अखिल भारतीय न्यायिक सेवाएं का प्रवधान किया गया और 3 जनवरी 1977को
यह लागु हो गया| अनुच्छेद 312 (3) अखिल भारतीय न्यायिक सेवाएं से अभिप्राय जिला
नयायधीश से है ना की उच्च और उच्चतम नयायलय की भर्ती से है| जिला न्यायलय को
अनुच्छेद 236 मे परिभाषित किया गया है । आल इंडिया जजिस एसोसिएशन वाद के द्वारा
अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के लिए विचार किया गया है जिसे माना जा रहा है की वर्ष
2022 तक जिला नयायधीश की नियुक्ति आल इंडिया जुडिशल सर्विसेज के अंतर्गत कर दी
जाएँगी|
आल इंडिया जुडिशल सर्विसेज के लाभ :-
1 अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के गठन से जजों की नियुक्ति में अखिल भारतीय प्रसाशनिक
सेवा के समान निष्पक्ष एजेंसी की भूमिका होगी । क्योकि देश में संघ लोक सेवा आयोग द्वारा
की जाने वाली भर्ती प्रकिर्या काफी पारदर्शी मानी जाती है ।
2 अखिल भारतीय न्यायिक सेवा की स्थापना करके एक सवतंत्र संस्था के द्वारा खुली प्रतियोगी
परीक्षा करवाकर न्यायधिशो की सीधी भर्ती की जा सकती है जिससे चयन में निष्पक्षता एवं
गुणवत्ता में वृद्धि होगी|
3 वर्तमान में अधीनस्थ न्यायपालिका पूरणतया राज्यों द्वारा आयोजित की जाने वाली भर्ती
पर्किर्या पर निर्भर है किन्तु इनके आकर्षक न होने के कारन श्रेष्ठ विधि छात्र राज्य न्यायिक
सेवा में शामिल नहीं होते । अखिल भारतीय न्यायिक सेवा की स्थापना के पश्चात श्रेष्ठ विधि
सनातक छात्र इस सेवा की तरफ आकर्षित होंगे एवं न्यायपालिका की गुणवत्ता में वृद्धि होगी ।
4 अखिल भारतीय न्यायिक सेवा की स्थापना से मानकों में समरूपता आएगी जिससे उच्च नयायलो एवं
उच्चतम न्यायलय में केवल योग्य न्यायधीसो को भेजा जा सकेगा ।
5 अखिल भारतीय न्यायिक भर्ती से समय पर नियुक्ति एवं सही वेतन के कारण उचित व्यक्तियों को इन
सेवाओं का अंग बनने के लिए आकर्षित किया जा सकेगा । इन सेवाओं में चयनित लोग अधिक सक्षम होंगे
जिससे आम जनता के लिए न्याय पाना आसान हो जायेगा ।
अखिल भारतीय न्यायिक सेवा से क्या हानि हो सकती है :-
1 भाषा :- अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के सृजन के विरोध का मुख्या कारण भाषा है क्योकि
बहुत सारे ऐसे राज्य है जिनमे वह की स्थानीय भाषा का ज्ञान होना अनिवार्य होता है अगर
न्यायिक सेवा अखिल भारतीय के अंतर्गत आती है तो संभव नहीं है की प्रत्येक राज्य के
विद्दार्थी अन्य स्थानीय भाषा का ज्ञान रखते हो जिसके कारण आम जनता को नुकसान उठाना
पद सकता है क्योकि इसके पश्चात अंग्रेजी भाषा का प्रयोग अधिक होगा जिसका ज्ञान सभी को
नहीं है ।
2 नियुक्तिं स्थान का सुनिश्चित न होना :- अगर न्यायिक सेवा आल इंडिया सर्विसेज के
अंतर्गत आ जाती ह तो जजों के ट्रांसफर एक राज्य से दूसरे राज्यों में आवशकता के अनुसार
कर दिए जायेंगे जो अभी तक एक ही राज्य की सीमा में होते थे केवल उच्च नयालयो के जजों
का ट्रांसफर ही एक राज्यों से दूसरे राज्यों मर हो सकता है ।
3 वेतन को लेकर मतभेद :- अगर न्यायिक सेवा केंद्र सरकार के अंतर्गत आती है तो यहाँ
मतभेद हो सकता है की वेतन का भुगतान कोण करेगा केंद्र या राज्य सरकार क्योकि एक
निश्चित राज्य का चयन नहीं होगा और जहा भी नियुक्ति होगी जज उस राज्य के लिए कार्य
करेंगे ।
निष्कर्ष : सभी प्रकार की चुनौतियों को ध्यान में रखकर देखा जाये तो अखिल भारतीय न्यायिक सेवा
वर्तमान समय की जरुरत बन गयी है इससे खाली पदों को समय से भरने का कार्य आसान हो जायेगा एवं
अब जो विद्दार्थी एक राज्य से दुसरो राज्यों में जाते है फिर उसी राज्य में परीक्षा दे सकेंगे । अखिल भारतीय
न्यायिक परीक्षा के द्वारा सिफारिश एवं रिश्वत के मामलो में कमी आएगी जिससे निष्पक्ष एवं पारदर्शी
परीक्षा हो सकेंगी ।