पर्यावरण व सरकारी नीतियाँ
(लेखिका मीनू देवी)
पर्यावरण :- पर्यावरण संरक्षण का अर्थ हैं हमारे पर्यावरण को सुरक्षित करना , परन्तु हमारे द्वारा उपयोग किये जाने वाले संसाधनों से हमारा पर्यावरण प्रदूषित हो रहा हैं , पर्यावरण सरक्षण न केवल मानव के लिए बल्कि अन्य जीवित प्राणियों के लिए भी बहुत ही आवश्यक हैं , यदि पर्यावरण सुरक्षित नहीं रहेगा तो पृथ्वी पर भी जीवन की संभावना काम हो जाएगी इसलिए हमे अपने पर्यावरण के सरक्षण के लिए ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहे |
प्रदूषित पर्यावरण के प्रमुख कारण :- ग्लोबल वार्मिंग , वनो की कटाई और और विभिन प्रकार के प्रदूषण मैं वृद्धि , प्लास्टिक पॉलीथिन के उपयोग मैं अधिकता वाहनों आदि जैसे अन्य और भी कारण हैं जो की प्रदूषण का कारण हैं जिससे पर्यावरण हमारे लिए चिंता का विषय बन गया हैं|
(1) ग्लोबल वार्मिंग :- दिन प्रतिदिन ग्लोबल वार्मिंग का खतरा धीरे- धीरे बढ़ता जा रहा हैं इसका मुख्य कारण हैं कार्बनडाईऑक्साइड (CO2) हमारे द्वारा उपयोग किये गए जीवाश्म इंधनो से निकलने वाला कार्बनडाईऑक्साइड हमारे वातावरण मैं उपस्थित होता हैं जो पृथ्वी के तापमान मैं वृद्धि करता हैं जिससे फलस्वरूप ग्लेसियर पिघलने लगते हैं और समुन्द्र के जल का स्तर बढ़ जाता हैं इसके फलस्वरूप जो शहर तट पर उपस्थित होते हैं उनके डूबने का खतरा बढ़ जाता हैं |
(2) वनो की कटाई :- पर्यावरण के संकट का मुख्य कारण वनो की कटाई मैं अधिकता भी हैं मानव अपनी जरुरत के अनुसार वनो की कटाई करते रहते हैं जिससे जंगलो मैं जन्तुओ के आवास नष्ट हो रहे हैं व जंगल लुप्त हो रहे हैं इसके लिए वनो की कटाई के कारण वातावरण मैं कार्बनडाईऑक्साइड और कार्बन मोनोआक्साइड की मात्रा लगातार बढ़ रही हैं , क्योकि पेड ही कार्बनडाईऑक्साइड को ऑक्सीज़न मैं बदल देते हैं
(3) जनशंख्या मैं वृद्धि :- अधिक जनसंख्या भी पर्यावरण के संकट के लिए उत्तरदायी हैं , जनसंख्या मैं वृद्धि के कारण संसाधनों मैं पूर्ति नहीं हो पाती जिससे मनुष्य अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिए पक्षियों और जानवरो का आश्रय नष्ट कर देता हैं इससे परिस्थिति की तंत्र का संतुलन बिगड़ जाता हैं |
पर्यावरण को बचाने के लिए सरकारी नीतिया
स्वच्छ भारत अभियान :- पर्यावरण को बचाने के लिए भारत सरकार द्वारा अब तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट स्वच्छ भारत अभियान हैं इस योजना की शुरुआत हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा नई दिल्ली के राजघाट पर 2 अक्टूबर 2014 को किया गया था इस योजना का मकसद भारत को पूरी तरह से साफ सुथरा बनाना हैं |
नदियों की सफाई :- भारत के 15 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 3 दिन गंगा नदी की सफाई के अपने लक्ष्य को पूरा किया हैं इस योजना को प्रधानमंत्री ने जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती को सौंपा था |
पर्यावरण अधिनियम 1986 की धारा 6 के अधिन भी ध्वनि जल वायु प्रदूष को वायु को रोकने का प्रयास किया गया, इसका प्रोयग करते हुए ध्वनि प्रदूषण अधिनियम २००० पारित किया गया |
जून 1972 में स्टॉकहोम मे सम्पन्न मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र संघ के अधिवेशन के अनुसार मनुष्य अपने पर्यावरण का निर्माता व शिल्पकार दोनों ही हैं जिससे उससे भौतिक स्थिरता मिली इस ग्रह पर मनुष्य जाती की एक लम्बी तथा पीड़ादायक उत्क्रमण चात्रा में एक ऐसी स्थति आ गई है जब विज्ञान तथा तकनीकी के तीर्व विस्तार के द्वारा मनुष्य ने एक प्रकार से भूतपूर्व स्तर पर अपने पर्यावरण की कायापलट करने की क्षमता प्राप्त कर ली है |
प्रथम कानून 1994 मे पास हुआ था सबसे पहले वायु प्रदूषण नियंत्रणकारी कानून थे इन कानूनों को प्रभावसाली ढंग से लागू करने के लिए इसमें संसोधन किया गया |
संसोधित अधिनियम :-
(1) एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन एक्ट 1986
(2) वाटर प्रिवेंशन एन्ड कंट्रोल ऑफ़ पॉलूशन एक्ट 1974 , 1988 में संसोधित
(3) एयर प्रिवेंशन एन्ड कण्ट्रोल ऑफ़ पॉलूशन एक्ट 1981 , 1988 में संसोधित
(4) पब्लिक तायबालिटी इंसोरेंस एक्ट 1991
(5) द नेशनल एनवायरमेन्ट ट्रब्यूनल एक्ट 1995
(6) वाइल्ड लाइफ एक्ट 1972 , 1971 में संसोधित
(7) फारेस्ट कंजर्वेशन एक्ट 1980 , 1988 में संसोधित
(8) मोटर व्हीक्ल एक्ट 1988
(9) बायोमेडिकल वेस्ट
पर्यवरण संरक्षण में न्यायपलिका की भूमिका भारत में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में न्यायपलिका द्वारा महत्वपूर्ण पहल की गयी , जीवन का अधिकार जिसका उल्लेख अनुछेद 21 में हैं की सकारात्मक व्यख्या करके न्यायपलिका ने इस अधिकार में ही स्वस्थय पर्यावरण के अधिकार को निहित घोसित किया हैं सामाजिक हित विषेशकर पर्यावरण के कारण ही जनहित मुकदमो का विकास हुआ भारतीय न्यायपलिका ने 1980 से ही पर्यावरण हितेषी दृस्टिकोण अपनाया हैं|
पर्यावरण पर न्यायपलिका के महत्वपूर्ण निर्णय
— देहरादून की चुना खान का मामला 1987 इस मामले का सम्बन्ध दून घाटी में चुने की खानो द्वारा को हो रहे गंभीर खतरे में था|
––श्रीराम गैस रिसाव मामला 1987 :- श्रीराम गैस रिसाव मामले में न्यायालय ने आदेश दिया की उस जोखिम भरे कारखाने को तुरंत बंद किया जाये जिससे गैस रिसाव के कारण एक कर्मी की मोत हो गयी तथा अन्य लोगो का जीवन संकट में पड़ा|
–– गंगा प्रदूषण मामला 1988 :- इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अनेक चमड़े के उद्योगों को जो गंगा के तट पर प्रदूषण फैला रहे थे यह आदेश दिया की वे या तो प्रदूषण नियंत्रण करे या फिर कारखाने बंद कर दे|
अन्य मामले :- पर्यावरण जागरूकता मामला 1992 दिल्ली वाहन प्रदूषण मामला 1994 , ताजमहल मामला 1997 , ऍम सी मेहता मामला|